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फसल अवशेष प्रबंधन करके किसान अपनी आय में कर सकते हैं बढ़ोत्तरी : डॉ. रमेश वर्मा।

हरियाणा -



हरियाणा के कैथल जिले से सचिन सैनी की रिपोर्ट

(आर 5 समाचार लाइव)

कैथल। चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा गांव सांच में जिला स्तरीय फसल प्रबंधन किसान मेले का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. रमेश वर्मा ने कहा कि फसल अवशेष, अवशेष नहीं बल्कि किसानों के लिए विशेष है। फसल अवशेष का प्रबंधन करके किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं, वहीं जमीन की उर्वरा शक्ति को मजबूत कर सकते हैं। उन्होने किसानों से आह्वान किया वे खेती के साथ-साथ कृषि उत्पादों तैयार करें। वैज्ञानिक डॉ. जसबीर सिंह ने अपने संबोधन में किसानों को कहा कि धान के फानों में आग लगाने से आबो-हवा प्रदूषित होती हैं तथा वायु गुणवत्ता सूचकांक पर विपरित प्रभाव पड़ता है, जिससे आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ, हदय समस्या आदि होती है। परानी जलाने से पर्यावरण प्रदूषण बढ़ने के साथ-साथ जमीन में उपस्थित मित्र कीट भी नष्ट होते है जो हमारी पैदावार पर विपरित प्रभाव डालते हैं।

उन्होंने किसानों को आह्वान किया कि वो फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन करके कृषि विश्वविद्यालय तथा प्रशासन का सहयोग करें और अपनी भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाये। कार्यक्रम में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सहायक कृषि अभियंता जगदीश चंद्र मलिक ने फसल अवशेष प्रबंधन के लिए प्रयोग में होने वाली मशीनों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अमित कुमार ने बताया कि किसान सरकार द्वारा अनुदान पर दी जाने वाली मशीनों जैसे सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, स्मार्ट सीडर, सरफेस सीडर, जीरो टिलेज मशीन, मल्चर, चॉपर तथा रोटावेटर द्वारा फसल अवशेषों का यथास्थान प्रबंधन कर सकते है। उन्होंने आगे बताया कि फसलों की अधिक उपज लेने के लिए खरपतवारों का नियंत्रण करें तथा फसल में पानी व पोषक तत्वों की कमी न होने दें। केंद्र के वैज्ञानिक डॉॅ. दीपक कुमार ने कहा कि पराली का यथास्थान प्रबंधन करके भूमि की जैविक कार्बन को बढ़ा सकते हैं। मेले में प्रगतिशील किसान कुलवंत सिंह, ऋषिपाल, रमेश देवबन, राजेश खेड़ी सिकंदर एवं फकीर चंद आदि को सम्मानित किया गया। सूचना एवं जन संपर्क कार्यालय की टीम द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन विषय पर गीतों एवं भजनों द्वारा किसानों को जागृत किया।

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